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Sunday, May 6, 2018

"Khato ko jab mai Kholta hu"


उन खतों को जब मै खोलता हू
तब तेरा ज़िक्र  ज़रूर होता है
उन ज़िक्र  के ज़िक्र  में
कुछ ऐसा होता है
की अपने आप से घंटो बोलता हू
तुम होती तो यह होता
तुम होती तो वो होता
उन खतों को जब मै खोलता हू
फिर बीते लम्हे टटोलता हू|